आज आपसे भारतीय शास्त्रीय संगीत के बारे में कुछ चर्चा करता हूँ।जैसा कि आप सभी जानते हैं कि किसी भी संगीत के दो अंग होते ,,,स्वर एवं ताल। भारतीय मान्यता के अनुसार वेदों के रचयिता श्री बृम्हा जी के द्वारा संगीत के इन दोनो अवयवों की रचना की गयी।बृम्हा जी द्वारा यह ज्ञान शिव जी ,शिव जी से सरस्वती जी को , सरस्वती जी से नारद जी को,नारद जी से यह ज्ञान कृमशः यह ज्ञान गंधर्व,किन्नर एवं अप्सराओं के पास पहुँन्चा।बाल्यकाल की अवस्था में हनुमान जी को यह ज्ञान गंधर्व एवं अप्सराओं से मिला।तत्पश्चात हनुमान जी से यह ज्ञान धरती पर आया। संगीत के सात स्वर :स : षणज
रे : ऋषभ
ग : गंधार
म : मध्यम
प : पंचम
ध : धैवत
न : निषाद
सा : षणज
इन स्वरों की उत्पत्ति मे कई मत है।यहां पर मैं तीन मतों के बारे मे लिख रहा हूँ।
प्रथम मतानुसार पशु पक्षिओं की आवाज से इन स्वरों का निर्माण हुआ-
मोर- स : षणज
चातक- रे : ऋषभ
बकरा- ग : गंधार
कॉवा- म : मध्यम
कोयल- प : पंचम
मेंढक- ध : धैवत
हाँथी - न : निषाद
एक अन्य मतानुसार जब हजरत मूसा पहाडों पर थे तब आकाशवाणी होने पर उन्होनें अपना असार (अस्त्र) जमीन पर पडे पथ्थर पर मारा था जिसके सात टुकडे हो गये थे एवं जमीन से पानी कि सात धारायें निकली थीं,इन्ही से इन सात स्वरों का निर्माण हुआ था।
फारसी मतानुसार मूसीकार पक्षी के गले मे बाँसुरी के समान सात छिद्र थे ,जिनसे इन सात स्वरों कि उत्पति हुई ।
चलिये अब कुछ चर्चा रागों के बारें के बारे में करते हैं।पर रागों को जानने से पहले आपको थाटों को जानना होगा,संगीत शास्त्र के अनुसार दस थाट होते हैंथाट को हम प्रमुख राग भी कह सकते हैं क्योकि इन्ही से अन्य सभी रागों की रचना हुई है।थाट ही सभी रागों की उत्पत्ति के जनक हैं।
प्रमुख थाट:
· बिलावल
· खमाज
· आसावरी
· भैरव
· भैरवी
· काफ़ी
· मारवा
· पूर्वी
· तोड़ी
· कल्याण
चलिये अब चर्चा बहुत हो गयी ,अपनी अवाज में आपको राग खमाज़ पर आधारित एक भजन सुनाता हूँ।एक बात और इसके बारे में भी लिखना ना भूलियेगा ।
अभिषेक -श्याम सुन्दर(राग-खमाज़)
14 comments:
kya sahi mein woh tumhari awaaz thi??? mujhe to vishvaas hi nahin ho raha tha!!! it was amazing song!
शुक्रिया जी,,,बस आपसे प्रोत्साहन चाहिये,,
कर्ण प्रिय
बहुत सुन्दर आवाज और गीत, आप से अनुरोध है कि हर कड़ी में इसी तरह राग के साथ उसे गाकर सुनायें।
वाक़ई बहुत मधुर आवाज़ है। संगीत पर इस रोचक जानकारी के लिए धन्यवाद।
आप सभी का, मुझे प्रोत्साहित करने के लिये धन्यवाद।अन्य लेखों में भी आपको कुछ ना कुछ जरूर सुनाता रहूँगा।
लखनऊ की याद आ गयी। मेरी बुआ, बहन और पत्नि ने भी भातखण्डे से सीखा है। अगली लखनऊ यात्रा के दौरान आपसे मिलने की इच्छा रखता हूं।
अनुराग जी,अपना शहर है याद तो आयेगा ही।लखनऊ आइये ,मुझे भी आपसे मिल कर खुशी होगी।
वाह भाई अभीषेक, मजा आ गया. वैसे चिट्ठा चर्चा में आपकी तारीफ कर आये थे, मगर सीधे यहां किये बिना नहीं रहा गया, सो बधाई स्विकारें, बहुत खुब. जारी रखें.
--समीर लाल
समीर जी ,बहुत- बहुत धन्यवाद
वैसे आप ने चिठ्ठा चर्चा मे लिखा था कि यदि लिखना न होता तो उँगली आप मुँह मे दबाये ही रहते :) ,पर मुझे लग रहा है कि अभी तक उँगली मुँह मे ही है ,अरे इन्हें सम्हाल कर रखिये ,,,हिन्दी को विश्व भाषा बनाने का भार आप सबके कन्धे,, नहीं नहीं... इन उँगलियों पर ही है।
अति सुंदर।
सन्दीप जी ,बहुत बहुत धन्यवाद ।
आप सौम्या के भाई है, दिल्ली आए तो मिलिएगा
भई वाकई शानदार गाया है...बहुत मधुर
और सुनाइये ऐसा कुछ।
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