कुछ अनकही अनसुनी , कुछ मेरे मन की ,कुछ मेरी............बातें
क्यूँ भाई बड़े दिनों तक गायब रहते हो ? पुराने लखनऊ का स्वरूप आँखों के सामने घूम गया इन चित्रों की मदद से।
मनीष जी, कोशिश करूँगा कि आप सब से चिठ्ठे के माध्यम से जल्दी मिला करूँ।
अभिषेक जी आपको मालूम होगा ये तस्वीरें लखनऊ मे अन्ग्रेजों के कब्जे के समय (1858)की हैं। इस से सम्बन्धित उस समय की और तस्वीरें यहाँ देखी जा सकती हैं।
मिश्रा जी, लिंक के लिये धन्यवाद।
कहते हैं लखनबी तमीज़ का कोई जोर नहीं और यह इन तस्वीरों के द्वारा भी व्यक्त हो रहा है…बधाई!!!
हुज़ूर एकदम सही फरमाया आपने एवँ आपको भी बधाई ।
अभिषेक, मेरे चिट्ठे को अपने ब्लागरोल में जगह देने के लिये शुक्रिया।
दुर्लभ चित्र हैं।
अभिषेक आप के ब्लाग पर पहली बार आई हूँ और तस्वीरें देख कर बहुत खुशी हुई विशेषकर आज का लखनऊ और कल का लखनऊ देख कर.साभार सहित.
लखनऊ को पुराने स्वरुप मे देखकर मजा आ गया , और भी ऐसे चित्र डालें ।
गुरुजी.कोम पर लखनऊ लिखने पर सीधे पहला परिणाम आपके ब्लाग का था॥। इन तस्वीरों को देख कर बहुत अच्छा लगा
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11 comments:
क्यूँ भाई बड़े दिनों तक गायब रहते हो ? पुराने लखनऊ का स्वरूप आँखों के सामने घूम गया इन चित्रों की मदद से।
मनीष जी, कोशिश करूँगा कि आप सब से चिठ्ठे के माध्यम से जल्दी मिला करूँ।
अभिषेक जी आपको मालूम होगा ये तस्वीरें लखनऊ मे अन्ग्रेजों के कब्जे के समय (1858)की हैं। इस से सम्बन्धित उस समय की और तस्वीरें यहाँ देखी जा सकती हैं।
मिश्रा जी, लिंक के लिये धन्यवाद।
कहते हैं लखनबी तमीज़ का कोई जोर नहीं और यह इन तस्वीरों के द्वारा भी व्यक्त हो रहा है…बधाई!!!
हुज़ूर एकदम सही फरमाया आपने एवँ आपको भी बधाई ।
अभिषेक, मेरे चिट्ठे को अपने ब्लागरोल में जगह देने के लिये शुक्रिया।
दुर्लभ चित्र हैं।
अभिषेक आप के ब्लाग पर पहली बार आई हूँ और तस्वीरें देख कर बहुत खुशी हुई विशेषकर आज का लखनऊ और कल का लखनऊ देख कर.साभार सहित.
लखनऊ को पुराने स्वरुप मे देखकर मजा आ गया , और भी ऐसे चित्र डालें ।
गुरुजी.कोम पर लखनऊ लिखने पर सीधे पहला परिणाम आपके ब्लाग का था॥। इन तस्वीरों को देख कर बहुत अच्छा लगा
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