आप सोच सकते हैं, कि यह फिर से का क्या माज़रा है, बचपन में मै अपनी बुआ के घर पर रह्ता था और उनके घर से रेसिडेंसी पास पडता था तो मेरी सुबह की सैर वहीं हुआ करती थी, और यही नहीं मेरा विद्यालय रेसिडेंसी के एकदम पीछे पडता था तो मेरी खाली कक्षाए वहीं बीता करती थीं, बाद में जब मै अपने घर पर आ गया तो रेसिडेंसी के घर से दूर होने के कारण, और प्रमुखतया सुबह देर से उठने के कारण मेरा सुबह टहलना बन्द हो गया। पर ना जाने आज कहाँ से मेरी नींद जल्दी खुल गयी, और मै चल पडा फिर से रेसिडेंसी की तरफ ………..(अपना कैमरा उठा कर J)।
रेसिडेंसी वर्तमान में एक राष्ट्रीय संरक्षित स्मारक है, और लखनऊ वालों के लिये सुबह की सैर का स्थान। रेसिडेंसी का निर्माण लखनऊ के समकालीन नवाब आसिफ उद्दौला ने सन 1780 में प्रारम्भ करवाया था जिसे बाद में नवाब सआदत अली द्वारा सन 1800 में पूरा करावाया। रेसिडेंसी अवध प्रांत की राजधानी लखनऊ में रह रहे, ब्रिटिश ईस्ट इंडिया कंम्पनी के अधिकारियों का निवास स्थान हुआ करता थी।
रेसिडेंसी - मानचित्र
सम्पूर्ण परिसर मे प्रमुखतया पाँच-छह भवन थे,जिनमें मुख्य भवन,बेंक्वेट हाल,डाक्टर फेयरर का घर, बेगम कोठी ,बेगम कोठी के पास एक मस्जिद, ट्रेज़री आदि प्रमुख थे।
आज इन इमारतों के भग्नावषेश देख कर लगता है कि अभी भी ये अपने बीते हुए भव्य दिनों की याद किया करते हैँ। यहाँ जब भी मैँ आता हूँ वे पुराने दिन दिन कैसे रहे होंगे सोचने लग जाता हूँ। यहाँ की एक एक इमारत से समय का कितना पुराना सम्बन्ध है यह तो बस हम सिर्फ सोच ही सकते हैँ।
1 comment:
Aaj tak Residency ke andar jaana to nahin hua par college jaata tha to roz raste me dekhta tha. Aaj bhi wo Lucknow ke din bahut yaad aate hain. Aiasa sheher aaj tak koi aur nahin dekha.
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