वक्रतुण्ड महाकाय सूर्य कोटि समप्रभ् ।
निर्विघ्नं कुरुमेदेव सर्व कार्येषु सर्वदा ।
बहुत दिनों से मन में था, कि मैं भी हिन्दी में अपना ब्लाग बनाऊँ। और आखिरकार आज यह मैनें बना ही लिया.
अपनी भावनाओं को व्यक्त करने का इससे अच्छा और कौन सा माध्यम हो सकता है।
इस ब्लाग में अपने मन कि कुछ बातें,अपने यात्रा व्रतान्त, समाज, इधर उधर ,वस्तु सामयिक जो भी समझ मे आयेगा लिखूँगा....
हो सकेगा तो आपको अपनी बातें भी सुनाउँगा ।
किसी चित्रकार को भी एक कैनवस तो चाहिये ना अपनी चित्रकला को दिखाने के लिये ,,,,मुझे नहीं पता कि मुझे कितनी चित्रकारी आती है,पर कूची हाँथ में आयेगी तो कुछ न कुछ तो बनेगा ही...
चलिये कुछ अपने बारे मे ही आप सबको बता देता हूँ,मेरा नाम अभिषेक है,लखनऊ मे जन्माँ,अपने पैत्रक गाँव मे बचपन देखा,पर पढाई लिखाई के लिये शैशवावस्था मे लखनऊ आ गया।उसके बाद तो लखनऊ , जन्मभूमि से कर्मभूमि भी बन गया। इन्दौर,मुम्बई,बैंग्लोर आदि इत्यादि जगह पर ३ साल बिताने के बाद फिर से अपने प्यारे शहर मे हूँ।
बहुत दिनों से मन में था, कि मैं भी हिन्दी में अपना ब्लाग बनाऊँ। और आखिरकार आज यह मैनें बना ही लिया.
अपनी भावनाओं को व्यक्त करने का इससे अच्छा और कौन सा माध्यम हो सकता है।
इस ब्लाग में अपने मन कि कुछ बातें,अपने यात्रा व्रतान्त, समाज, इधर उधर ,वस्तु सामयिक जो भी समझ मे आयेगा लिखूँगा....
हो सकेगा तो आपको अपनी बातें भी सुनाउँगा ।
किसी चित्रकार को भी एक कैनवस तो चाहिये ना अपनी चित्रकला को दिखाने के लिये ,,,,मुझे नहीं पता कि मुझे कितनी चित्रकारी आती है,पर कूची हाँथ में आयेगी तो कुछ न कुछ तो बनेगा ही...
चलिये कुछ अपने बारे मे ही आप सबको बता देता हूँ,मेरा नाम अभिषेक है,लखनऊ मे जन्माँ,अपने पैत्रक गाँव मे बचपन देखा,पर पढाई लिखाई के लिये शैशवावस्था मे लखनऊ आ गया।उसके बाद तो लखनऊ , जन्मभूमि से कर्मभूमि भी बन गया। इन्दौर,मुम्बई,बैंग्लोर आदि इत्यादि जगह पर ३ साल बिताने के बाद फिर से अपने प्यारे शहर मे हूँ।
आज के लिये इतना ही,,,,मिलता रहूँगा और अपने समय की सैर भी कराता रहूँगा।
नमस्कार
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